शार्ट शिक्षाप्रद हिंदी कहानी: नजरिये का फर्क

शार्ट शिक्षाप्रद हिंदी कहानी:

लोग आपके बारे मे क्या सोचते हैं इस बात से परेशान होना छोड दो क्योंकि लोग दूसरे इंसान को अपने हिसाब से देखते हैं और वो उसमें वहीं खोजना चाहता है जो उसके बारे मे सोचता है। इसलिए लोग आपके बारे मे क्या कहते है ये चिंता का विषय नहीं है


शार्ट शिक्षाप्रद हिंदी कहानी: नजरिये का फर्क

आपको लोग क्या समझते हैं


अगर आप सामने वाले को अच्छे नहीं लगते तो यह कहानी आपके लिए हैं।

एक बार की बात है कि गांव का एक साधारण आदमी जिसका नाम मोहन था। यह सोचकर चिंतित रहता था कि वह किसी को अच्छा नहीं लगता कोई उसकी तारीफ नहीं करता हैं हर कोई उसकी बुराई करता है।  एक दिन उसे एक साधु मिला साधु को मोहन ने अपनी समस्या सुनाई कि हर कोई मेरी बुराई करता है मेरी कोई तारीफ नहीं करता जबकि मैं हर किसी के साथ अच्छा व्यवहार करता हूं कभी किसी के साथ बुरा कार्य नहीं करता फिर भी लोग मेरी तारीफ नहीं करते हैं। साधु बात सुनकर थोड़ा हंसा और उसे एक हीरा दे दिया। 

मोहन बोला कि मुझे तोहफा नहीं चाहिए मुझे मेरी समस्या का हल चाहिए साधु ने कहा यह हल ही है आप इसे एक हफ्ते के लिए अपने पास रखो और इस एक हफ्ते के अंदर आपको जो भी मिले उससे इस हीरे की कीमत पूछना लेकिन हीरे को किसी को बेचना नहीं है। एक हफ्ते के बाद मुझसे आकर मिलना। आदमी हीरा लेकर घर चला गया। उसे पहले दिन एक गांव का छोटा व्यापारी मिला व्यापारी को हीरा दिखाया और बोला कि आप इसे कितने में ले सकते हैं इसका क्या मुल्य लगाएंगे। व्यपारी ने हीरे को देखा और बोला कि मै इसे एक हजार रूपये मे ले सकता हूँ। 

आदमी आगे चला गया आगे जाकर उसे एक शहर का बडा व्यापारी मिला जिसका बडा कारोबार था उसे हीरे को दिखाया और मुल्य जानना चाहा। व्यापारी ने हीरे को देखा और दस हजार रुपये मे लेने को तैयार हो गया। मोहन आगे चला तो उसे एक सुनार मिला जिससे हीरे का मुल्य पूछा सुनार ने बारीकी से हीरे को देखा और एक लाख रूपये देने को तैयार हो गया। मोहन और आगे गया जहाँ उसे शहर का सबसे बढा जौहरी मिला। जौहरी को हीरा दिखाया और मुल्य पुछा जौहरी हीरा देखकर चोक गया और बोला आपको ये हीरा कहा से मिला इसके एक करोड़ रुपए भी दूं वो भी कम है। 

अब मोहन और परेशान हो गया। कि इस हीरे का तो कोई ठीक मुल्य बता ही नही पा रहा है। एक हफ्ते बाद मोहन साधु के पास पहुंचा और साधु को सब कुछ बताया। साधु ने मोहन को समझाया कि जिस तरह सामने वाले की औकात है वैसे ही उसने हीरे को पहचाना और मुल्य लगाया। ठीक उसी तरह जैसा सामने वाला व्यक्ति है  वो आपको वैसा ही समझेगा अगर ईमानदार इंसान है तो उसे आप ईमानदार लगोगे और कोई चोर है तो वह आपको चोर समझेगा।

हमें दूसरों की नजरों में अच्छा नहीं बनना चाहिए बल्कि आप खुद अपनी नजरों में अच्छे बने रहो। ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे आप खुद अपनी नजरो मे अच्छे रहो। सामने वाला जैसा है वो आपको वैसे ही नजरिए से देखेगा‌।
आपको ये कहानी अच्छी लगी हो तो शेयर जरूर करें
धन्यवाद


Related Posts: