जीवन मे किये पुण्य का फल छोटी व शिक्षाप्रद कहानी
आपके द्वारा किए पुण्य का फल आपको कभी किसी न किसी रूप मे मिल ही जाता हैं। ये छोटी और शिक्षाप्रद कहानी भी आपको यही बात समझाने के लिए प्रस्तुत की हैं।
पुण्य का फल
एक बार की बात है कि एक गाँव मे एक गरीब आदमी रहता था। वह आस पास ही मजदूरी करता था। उसका एक लडका था। उनके परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी। इस बात से लडका परेशान रहता था। उसके स्कूल की फीस भी जमा नही हो पा रही थी।
तो लडके ने सोचा कि कुछ किया जाये जिससे परिवार के हालात अच्छे हो सके। लडके के मन मे एक विचार आया कि रोजमर्रा की कुछ जरूरी चीजों को वह आसपास के गावो मे घर घर जाकर बेचेगा। लडका स्कूल से आने के बाद रोज घर घर जाकर सामान बेचता जिससे वह अपने स्कूल की फीस जमा करता और जो पैसे बचते उनसे वह अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करता। एक दिन वह लडका किसी गांव मे सामान बेचने गया गर्मियों के दिन थे उसे भूख भी लगी थी।
लडके ने सोचा कि अबकी बार अगर कोई सामान खरीदेगा तो उससे मे पैसों की जगह खाने के लिए कुछ रोटी मांग लूगां। एक घर के दरवाजे पर गया उस घर मे से एक लडकी निकलकर आई लडका उस लडकी को देखकर चौंक गया। लडकी ने सोचा कोई परेशान है वह कुछ मागने के लिए आया हैं।
लडकी समझ गयी कि इसे भूख भी लगी हैं। लडकी घर के अन्दर गयी और रसोई मे से दो रोटी लाकर लडके को दे दी। लडका ने रोटी खाई पानी पिया। और लडकी से बोला कि मेरे पास कुछ सामान हैं इन्हे तुम ले लो ये तुम्हारे घर मे काय आ जायेंगे। लडकी ने मना कर दिया और कहा कि इन्हें तुम किसी और जरूरतमन्दो को बेच लेना।
लडका को उस लडकी की बात बहुत अच्छी लगी और वह लडकी को धन्यवाद बोलकर आगे चला गया। समय बीतता गया और लडका पढने मे काफी होशियार था। लडके ने डॉक्टरी की पढाई की और वह डाक्टर बन गया। वह एक अस्पताल मे मरीजों का ईलाज करता था। एक दिन एक लडकी की दूर्घटना का केस आया लडकी को इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। उसके ईलाज के लिए उसी लडके को भेजा गया। लडके ने लडकी को देखा तो वह समझ गया कि ये तो वही लडकी हैं जिसने मुझे रोटी खिलाई थी। लडकी की हालत काफी नाजुक थी।
लडके ने तुरन्त शहर के बडे डाक्टर को बुलाया और कहा कि जितना भी पैसा लगेगा मैं दूगाँ बस ये लडकी ठीक होनी चाहिए। लडकी का ईलाज हुआ और वह ठीक हो गयी। ऊधर वह लडकी यह सोच रही थी कि मैं ठीक तो हो गयी लेकिन अस्पताल का खर्चा कहा से देगी। लडकी का डिस्चार्ज का समय आया और उसे एक दवाई व परहेज़ के लिए एक एक कागज पर परहेज के निर्देश दिये थे। इनके साथ एक कागज और भी था कि आपको एक भी रुपये देने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपने इससे भी ज्यादा दो रोटी के रूप मे पहले ही भुगतान कर दिया था। लडकी को भी वह बात याद आ गयी कि मेरे ईलाज के पैसे उस लडके ने भर दिये जिसे मैने पहले कभी खाना खिलाया था।
दोस्तो इस कहानी से हमें ये सीखने को मिलता हैं कि हमे जरूरतमंदो की हमेशा मदद करनी चाहिए। हमारे द्वारा किया गया पुण्य का अच्छा फल हमे किसी न किसी रूप मे जरूर मिलता है।
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धन्यवाद।
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