साधु और किसान की कहानी: खुश कैसे रहे जिंदगी में

हम खुश कैसे रह सकते हैं?


परेशानियां बडी कैसे बन जाती हैं?

इस बारे मे हर कोई जानना चाहता है लेकिन इसका कोई साँर्टकट नही मिलता। या हमे कोई उपाय नहीं मिलता हैं। और हम निराश, धके से रहने लगते है। हम खुश कैसे रहे इसी को ध्यान में रखते हुए आज एक कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि इस कहानी को पढकर आप भी अपने जीवन मे खुशी महसूस करेंगे। और आपके अन्दर आत्मविश्वास जरूर आयेगा।


यह कहानी हैं एक निराश, दुखी, परेशान 'किसान' और  एक 'साधु' की। साधु जो किसान को अलग ही तरीके से समझाते हैं कि अपने जीवन मे खुशियां कैसे लेकर आये?

तो शुरू करते हैं कहानीः


एक गांव जो शहर से काफी दूर था। गांव मे ज्यादातर लोग खेती या पशुपालन पर ही निर्भर होते है। गाव का एक किसान जो अपने खेतो मे हर बार कुछ ना कुछ अलग फसल लगाया करता था। अबकी बार किसान ने अपने खेतो मे धान की बुवाई करवा दी।। धान की खेती के लिए पानी की बहुत आवश्यकता होती हैं लेकिन कुदरत ने इस बार बहुत कम बारिश की। किसान बडा दुखी रहने लगा।

किसान सोचने लगा मेरी तो किस्मत ही खराब है मै जो भी करता हूँ वही गलत होता हैं। कहने लगा मेरी तो जिन्दगी ही खराब है क्या फायदा ऐसी जिन्दगी का। कई बार तो आत्महत्या करने की भी सोचने लगा।

एक दिन गाव मे एक बडे साधु आये हुए थे। साधु किसान के पास भी आये तो किसान ने साधु से पूछा कि बाबा मैं क्या करू मै बहुत दुखी हूँ। साधु ने किसान से कहा कि तुम्हें तुम्हारी समसाया का समाधान जरूर मिलेगा। और किसान से कहा कि तुम अपने खेतो को किससे तैयार करते हो। किसान तुरंत अपना फावडा लेकर आया और कहा कि सबसे ज्यादा खेतो मे इसका ही इस्तेमाल होता हैं। इसके बिना तो खेतो मे काम करना मुश्किल है। साधु ने फिर पूछा कि तुम इस फावड़े से कितने घंटे तक अपने खेतों मे काम करते हो।


किसान ने जवाब दिया। कि आप घंटे तो छोडिए मै तो पूरे दिन भी इससे खेतों मे काम कर सकता हूँ। इतना सुनकर साधु ने किसान से कहा ठीक है ऐसा करो इस फावड़े को अपने कंधे पर रखो और आज मेरे साथ चलो। किसान ने अपना फावडा कंधे पर रखा और साधु के साथ चल दिया। चलते चलते आधा घंटा हो गया लेकिन किसान को कुछ समझ नहीं आ रहा था। इधर फावडे से किसान के कंधे मे भी दर्द होने लगा था।


किसान फावडे को कभी एक कंधे पर तो कभी दूसरे कंधे पर रखने लगा। किसान फिर भी साधु के साथ चलता रहा। अब चलते चलते एक घंटा हो गया था। और इधर किसान के कंधे जवाब दे रहे थे। किसान ने फिर हिम्मत की और साधु के साथ चलता रहा। किसान को फावडे के वजन से तकलीफ हो रही थी। अब किसान और साधु को चलते चलते दो घंटे होने ही वाले थे।

अब तो किसान को फावडे मे इतना वजन लगने लगा कि किसान ने अपने कंधे पर रखा फावडा जमीन पर दे मारा और कहा कि मै अब और आपके साथ नही चल सकता हूँ। मेरे दोनो कंधों मे बहुत दर्द हो रहा है। साधु ने कहा यही तो होता हैं। किसान ने कहा मै कुछ समझा नही।


साधु ने किसान को समझाया कि जिस फावडे से तुम पूरे दिन खेतों मे काम कर सकते हो उसे तुम दो घंटे भी अपने कंधे पर नहीं रख सके। जब तुम फावडे से खेतो मे काम करते हो तो तुम्हें इसके वजन का एहसास नही होता। और जैसे ही तुमने इससे काम करना बंद किया और अपने कंधे पर लाद लिया तो यह बोझ बन गया। ऐसा ही तुम्हारी परेशानियों का है जब तुम अपनी परेशानियों का सामना करते रहोगे तो खुश रहोगे और जैसे ही तुमने अपनी परेशानियों का सामना करना बंद कर दोगे और उसके बारे मे सोचना शुरू किया तो ये फावडे की तरह तुम्हारे उपर बोझ बन जायेगी। और तुम निराश दुखी होते रहोगे। मुश्किलों का सामना करते हुए जीना ही जिन्दगी है।


सभी के जीवन मे कभी ना कभी परेशानियां आती रहती हैं अगर हम इन परेशानियों का सामना नहीं करते है और इनके बारे सोचकर परेशान होते रहते हैं तो हम कभी खुश नही रह सकते क्योंकि ऐसा कोई भी इंसान नही होगा जिसके जीवन मे मुश्किलें ना हो। हमज हमेशा संघर्ष करते रहना चाहिए। अगर हमे खुश रहना है तो हमे उन बातो के बारे मे सोचना चाहिए जो हमारे लिए अच्छी हो। क्योंकि जैसा आप सोचते है वैसा ही होता हैं। अगर आप अच्छा सोचोगे तो अच्छा ही होगा।

आपको ये कहानी कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताए। धन्यवाद!!

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